नेपाल में हंगामा: सोशल मीडिया बैन से भड़की भीड़, PM Oli का इस्तीफ़ा"

Nepal Mein Bawal: Gen Z Protest, PM Oli Ka Istifa, Sushila Karki Banengi Nayi PM


नेपाल में बवाल 2025: Gen Z Protest, PM Oli का इस्तीफ़ा और Sushila Karki पर सबकी नज़र

नेपाल इस समय एशिया के उन देशों में शामिल है जहाँ सबसे बड़ा राजनीतिक और सामाजिक उथल-पुथल देखने को मिल रहा है। राजधानी काठमांडू से लेकर ग्रामीण इलाकों तक, लोग सड़कों पर उतर आए हैं। भीड़ में सबसे ज़्यादा युवा हैं, जिन्हें “Gen Z Protesters” कहा जा रहा है।

भ्रष्टाचार, बेरोज़गारी, सोशल मीडिया बैन और सरकार की नाकामियों ने जनता का ग़ुस्सा भड़का दिया है। इसका सबसे बड़ा असर यह हुआ कि प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली ने अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया। अब नेपाल की राजनीति में सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुषिला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री बनाया जाएगा?


PM Oli का इस्तीफ़ा – क्यों पड़ा इतना दबाव?

प्रधानमंत्री ओली लंबे समय से विवादों में रहे।

  • भ्रष्टाचार के आरोप – जनता का मानना है कि सरकार ने विकास के नाम पर करोड़ों का दुरुपयोग किया।

  • सोशल मीडिया पर बैन – फेसबुक, इंस्टाग्राम, टिकटॉक जैसे प्लेटफ़ॉर्म बंद करने का फ़ैसला युवाओं के लिए सबसे बड़ी चोट साबित हुआ।

  • बेरोज़गारी – पढ़े-लिखे युवाओं को नौकरी नहीं मिल रही थी।

  • महंगाई – रोज़मर्रा की ज़रूरत की चीज़ें महँगी हो गईं।

जब जनता सड़कों पर उतरी तो हालात काबू से बाहर हो गए। संसद भवन तक भीड़ पहुँची और कई जगह हिंसा भड़क गई। अंतरराष्ट्रीय दबाव और जनता के ग़ुस्से को देखते हुए ओली को कुर्सी छोड़नी पड़ी।


Gen Z Protest – युवाओं की ताक़त

नेपाल के इतिहास में पहली बार युवाओं ने इतने बड़े पैमाने पर आंदोलन किया।

  • ये प्रदर्शन सिर्फ सोशल मीडिया बैन के खिलाफ नहीं थे, बल्कि पूरे सिस्टम को बदलने की आवाज़ थे।

  • युवाओं का कहना है कि अब पुरानी राजनीति नहीं चलेगी।

  • उनका मक़सद है – पारदर्शी शासन, नौकरी के अवसर, और भ्रष्टाचार मुक्त व्यवस्था।

सड़कों पर दिख रही भीड़ में 18 से 30 साल तक के लोग सबसे ज़्यादा हैं। इन्हें “डिजिटल जनरेशन” कहा जाता है, और यही अब नेपाल की राजनीति में बदलाव की नई लहर ला रहे हैं।


हिंसा, मौतें और कर्फ़्यू

आंदोलन शांतिपूर्ण शुरू हुआ, लेकिन जल्दी ही हिंसा में बदल गया।

  • रिपोर्ट्स के अनुसार 30 से अधिक लोग मारे गए और 1000 से अधिक घायल हुए।

  • संसद भवन पर हमला हुआ, कई गाड़ियाँ जलाई गईं।

  • इंटरनेट सेवाएँ बंद कर दी गईं।

  • कई जगह सेना को तैनात करना पड़ा।

सरकार ने हालात संभालने के लिए कर्फ़्यू लगाया, लेकिन जनता का ग़ुस्सा कम होने का नाम नहीं ले रहा था।


सुषिला कार्की – अगली प्रधानमंत्री?

अब नेपाल में सबसे ज़्यादा चर्चा सुषिला कार्की के नाम की हो रही है।

  • वह नेपाल की पहली महिला चीफ़ जस्टिस रह चुकी हैं।

  • उनकी छवि ईमानदार और भ्रष्टाचार विरोधी नेता की है।

  • जनता का भरोसा उन पर सबसे ज़्यादा है।

अगर उन्हें अंतरिम प्रधानमंत्री बनाया जाता है तो यह नेपाल की राजनीति में एक ऐतिहासिक क़दम होगा।


सीमा और भारत पर असर

नेपाल के इस संकट का असर भारत पर भी पड़ा है।

  • कई दिनों तक सीमा बंद रही।

  • सैकड़ों भारतीय नागरिक नेपाल से वापस लौटे।

  • व्यापार पर बुरा असर पड़ा, ट्रकों की आवाजाही रुकी।

भारत सरकार भी हालात पर नज़र रखे हुए है क्योंकि नेपाल की स्थिरता भारत के हित में है।


अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया

  • संयुक्त राष्ट्र (UN) ने नेपाल सरकार से शांति बनाए रखने की अपील की।

  • भारत, चीन और अमेरिका ने नेपाल की राजनीतिक स्थिति पर चिंता जताई।

  • कई अंतरराष्ट्रीय मीडिया संस्थानों ने इसे “Gen Z Revolution” का नाम दिया।


जनता की माँगें

  1. सोशल मीडिया बैन तुरंत हटाया जाए।

  2. बेरोज़गारी के खिलाफ ठोस कदम उठाए जाएँ।

  3. भ्रष्टाचार पर सख्त कार्रवाई हो।

  4. शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार हो।

  5. सरकार में पारदर्शिता लाई जाए।


नेपाल के इतिहास से तुलना

नेपाल ने पहले भी कई बड़े राजनीतिक बदलाव देखे हैं –

  • 2006 में राजशाही का अंत हुआ।

  • 2015 में नया संविधान लागू हुआ।

  • और अब 2025 में जनता ने एक बार फिर यह साबित किया है कि अगर सरकार जनता की नहीं सुनेगी, तो सड़कों पर क्रांति होगी।


भविष्य की राह

नेपाल का भविष्य इस बात पर निर्भर करेगा कि नई सरकार कैसी नीतियाँ अपनाती है।

  • अगर युवाओं की माँगें मानी गईं तो यह आंदोलन एक नए युग की शुरुआत साबित होगा।

  • अगर पुरानी राजनीति जारी रही, तो नेपाल को और बड़े संकट का सामना करना पड़ सकता है।


नेपाल की मौजूदा स्थिति सिर्फ एक राजनीतिक संकट नहीं है, बल्कि यह जनता की ताक़त और युवाओं की आवाज़ का प्रतीक है। PM Oli का इस्तीफ़ा इस आंदोलन की सबसे बड़ी जीत है, लेकिन असली चुनौती अब शुरू हुई है – एक ऐसी सरकार बनाने की, जो जनता का विश्वास जीत सके।

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